इश्तियाक …!!

 

 

 

 

 

 

 

अक्सर मैं  खुद से बात करती हूँ
हर पल मैं तुझ को याद करती हूँ

एहतियातन रहती हूँ आजकल थोड़ी सज धज कर
ख़्वाबों में मुलाक़ात का इंतज़ार करती हूँ

वक़्त गुज़रता है कुछ इस तरह ही आजकल
इस तरह ही रूह को आबाद करती हूँ

रहता है कुर्रा-ऐ-अर्ज़ में इक अजब सा नशा
ना चाह कर भी तेरे होने का इश्तियाक करती हूँ

कभी ईद कभी दिवाली कभी सालगिरा का बहाना
तुमसे बात करने की रोज़ तर्किबें इजाद करती हूँ

कुर्रा-ऐ-अर्ज़ : Atmosphere

इश्तियाक : Desire

तर्किबें : Ideas

इजाद : Invent

 

 

9 thoughts on “इश्तियाक …!!

    • thnxx for ur spirit of reading the stuff u dnt understand…and thnx for ur wah wah as well…
      keep visiting 🙂

  1. बहुत सुंदर ! 🙂

    खुद से बात करो जरूर
    पर बताओ मत हजूर
    डाक्टर को पता चला
    खाने को बोलेगा खजूर !

    तो खाने को बोलेगा

  2. wonderfulll…..
    there r few ocasions wen we r able to express so exactly…
    कभी ईद कभी दिवाली कभी सालगिरा का बहाना
    तुमसे बात करने की रोज़ तर्किबें इजाद करती हूँ.
    enjoyed a lot
    thnx.,…..

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