उफ़ !!! ये दिल ….!!

 

 

 

 

 

 

उफ़ !!! ये दिल ….!!

दिल , हसरतों की रोशनी में दुनिया बना लेता है

रूह को तसल्ली -बक्श कुछ ख्वाब सजा लेता है …!!

डरता नही ये फिर से टूट कर बिखरने से

अब भी ये उसके आने की उम्मीद जगा लेता है …!!

भरता है कभी आह , कभी दर्द सहता है ये

ना जाने क्यों फिर भी दिल हमेशा दिल लगा लेता है ..!!

वो जिसके दिल पर हम कभी रक्स करते थे

वो शख्स अब दूर रहने की सलाह देता है …!!

कहते है बिक गया वो जिसने मोहबत खरीदनी चाही

है इतनी कीमती फिर भी वो इसका मोल लगा लेता है …!!

भूलती नहीं हमे वो उसकी दिलकश आँखों की गहरायी

वो ही जाने वो कैसे हमको भुला लेता है …!!

करता है दिल ये इश्क -ओ -मोहबत की नादानियां ऐसी

जिस आग से डरते है वही आग लगा देता है …!!

उफ़ !!! ये दिल ….!!